Tally ERP 9 With Gst Notes in Hindi – GST, Voucher Entry, Basic Accounting

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 Tally ERP 9 Notes in Hindi – GST, Voucher Entry, Basic Accounting

Tally ERP 9 Notes इस पोस्ट के माध्यम से आपको टैली erp 9 की सम्पूर्ण जानकारी एक साथ एक ही पेज में मिलेगा इसमे लिखे गये सभी जानकारी सटीक और प्रैक्टिकल है अगर आप इसे क्रमवार पढेंगे तो निश्चित ही आप टैली में एक्सपर्ट हो सकते है

इस पोस्ट में क्या है :-

इस जानकारी में केवल Tally ERP 9 ही नही टैली के कोई भी वर्शन में वर्क करने लायक बना जा सकता है लेकिन शर्त पर अगर आप नियमित पढाई कर प्रैक्टिकल करेंगे तो.


Tally History | टैली की इतिहास

👉Tally के जनक :   श्याम सुन्दर गोयनकाभारत गोयनका

👉Tally निर्माण वर्ष:    1986

👉Company का नाम टैली सलूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Tally Solution Pvt.)

👉Tagline     Tally Power of Simplicity

👉प्रधान कार्यालय (Head Quarter):  BengaluruKarnatakaIndia

👉Products / Software version: TallyPrime, Tally.ERP 9, Tally.Server 9,                                                                                 Tally.Developer 9 and Shopper

👉Tally full form:     Total Accounting Leading List Year / Transactions Allowed in a                                         Linear Line Yard 

👉Website: www.tallysolutions.com


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👌Tally Solution कंपनी को पहले Peutronics के नाम से जाना जाता था. जिसे सन 1986 में श्री श्याम सुन्दर गोयनका और उनके पुत्र श्री भारत गोयनका ने मिलकर Develop किया था. उस वक़्त श्याम सुन्दर गोयनका एक कंपनी का संचालन (चलाते थे) करते थे, वे दूसरे Plants और टेक्सटाइल मिल्स को कच्चा माल (Raw Material) और मशीन पार्ट्स सप्लाई किया करते थे. इसलिए इस बिज़नेस का हिसाब करने के लिए उनके पास कोई ऐसा सॉफ्टवेयर नहीं था जिससे वो अपना हिसाब किताब आसानी से कर सके.

👌इस समस्या को दूर करने के श्री श्याम सुन्दर गोयनका  ने अपने बेटे से कहा की एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाओ जिससे हम अपने बिज़नेस को आसानी से मैनेज कर सके. भारत गोयनका जी मैथमेटिक्स में ग्रेजुएट थे उन्होंने अकॉऊंटिंग एप्लीकेशन के लिए सबसे पहला संस्करण(VERSION) MS – DOS एप्लीकेशन के रूप में लांच किया. इस में सिर्फ बेसिक अकॉउंटिंग फंक्शन थे. जिसका नाम Peutronics financial Accountant रखा गया था.

Tally Important Fact / महत्वपूर्ण तथ्य:-



Years Important Facts
1988 Peutronics financial Accountant का नाम बदलकर Tally रखा गया.
1999 इस कंपनी ने कंपनी का नाम बदलकर Tally Solutions रखा.
2001 कंपनी ने इस वर्ष Tally 6.3 को लांच किया गया, इस version में Accounting के अलावा Educational version software भी लांच किया गया.
2005 Tally को और भी अच्छा डिज़ाइन के साथ बाजार में उतारा गया जिसमे सबसे मुख्या फीचर था Value Added Taxation (VAT). जो की भारतीय कस्टमर्स के लिए बहुत उपयोगी था. ये Tally 7.2 version था.
2006 Company इस 2006 Tally के अलग – अलग version को market में उतारा था जिनमे से एक Tally 8.1 था और दूसरा Tally 9. ये Tally के विभिन्न लैंग्वेज / भाषाओ में इस version को मार्किट में लाया था.
2009 कंपनी ने Tally ERP 9 enterprise resource planning software लांच किया जोकि user friendly environment तैयार किया गया जिससे आसानी से एकाउंटिंग कार्य किया जा सकता है इसमे हमें GST में कार्य किया जा सकता है.
2016 GST Server और Tax Payers के बिच में interface के रूप में GST सुविधा प्रदान करने के लिए Tally Solutions को चुना गया और 2017 में कंपनी ने बिलकुल अपडेटेड GST Compliance Software लांच किया
2020 इस वर्ष टैली सलूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वरा TallyPrime लांच किया गया है जो बहुत advance एकाउंटिंग software है.


Tally Full form – Transactions Allowed in a Linear Line Yard:-

T – Total
A – Accounting
L – Leading
L – List
Y – Year

  • Total Accounting Leading List Year
  • Transactions Allowed in a Linear Line Yard

Note:👉टैली का कोई फुल फॉर्म नहीं होता क्योंकि टैली का अर्थ है मिलान करना।


🙏Tally कितने प्रकार की होती है/ Types of Tally:-

टैली दो प्रकार की होती है -

1. टैली सिल्वर  ( Tally Silver )
2. टैली गोलग  ( Tally Gold )



👉Tally Silver क्या है :-

यह Tally Single User होती है । इस Tally मे एक समय मे एक ही User काम कर सकता हैइसके लिए  किसी भी Networking  की आवयकता नही  होती है

👉Tally Gold क्या है :-

यह Tally Multi User होती हैइस Tally मे एक समय मे दो या दो  से अधिक User एक साथ काम कर सकते है । इस Tally को चलाने के लिए (Local Area Network ) की आवयकता होती है। Tally दो Mode मे चलती है ।

 1. Educational Mode

 2. Professional Mode



 👉Educational Mode क्या है :-

 इस Tally मे 1 , 2 , 31 तारीक में ही काम किया जा सकता है ।  इसके अलावा किसी भी Date  की Entry ,  इस mode नहीं होती है । इसे  हर साल Upload  नहीं करना होता है ।

👉Professional Mode क्या है :- 

इस Tally का Use,  Business Purpose के लिए किया जाता है । इस Tally मै महीने  के सभी Date को काम मे लाया जा सकता है। यह  Tally Licencess Validity के बाद Expire हो जाती है। इस Tally को हर बार  Upload  करना पड़ता है

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टैली की शब्दावली 

Definition of Accounting – 

Accounting : – वह प्रोसेस है जिसके द्वारा वित्तीय लेनदेन का पहचान कर (Identification) एंट्री करना, सरांशीकरण कर रिपोर्ट तैयार करना होता है जिसके द्वारा व्यापार के वित्तीय स्थिती को जाना जा सकता हैं, लेखाकंन कहलाता हैं।    

Business क्या है:

लाभ कमाने के उदेश्य से किया गया वैधानिक कार्य व्यवसाय कहलाता हैं व्यवसाय एक व्यापक शब्द है जिसकें अंर्तगत व्यापार, उत्पादन कार्य, वस्तुओं या सेवाओं का क्रय – विक्रय, बैंक, बीमा, परिवहन कम्पनियाॅ इसके अंर्तगत आते हैं। 

Types of Business 

1.Manufacturing (उत्पादन) 
2.Trading (विक्रय) 
3.Servicing (सेवा)

Trade (व्यापार)क्या है:

लाभ कमाने के उदेश्य से किया गया वस्तुओं का क्रय – विक्रय व्यापार कहलाता हैं।

Profession (पेशा या वृत्ति)क्या है:

आय अर्जित करने के लिए किया गया कोई कार्य या साधन जिसके लिए पूर्व प्रशिक्षण आवश्यकता होती है, पेशा कहलाता हैं जैसे – डाॅक्टर, शिक्षक, वकील इत्यादि के कार्य पेशा के अंतर्गत आते हैं।

Proprietor (स्वामी या मालिक)क्या है:

व्यवसाय को प्रारम्भ करने वाला व्यक्ति जो आवश्यक पूॅजी की व्यवस्था करता है तथा लाभ प्राप्त करने के अधिकारी व हानि का जोखिम वहन करता हैं, व्यवसाय का स्वामी कहलाता हैं।

Capital (पूॅजी)क्या है:

व्यवसाय के स्वामी द्धारा व्यवसाय को प्रारम्भ करने के लिये धन, रोकड़ या अन्य सम्पत्ति के रूप में लगाया जाता हैं उसे पूॅजी कहते हैं। व्यवसाय में पॅूजी लाभार्जन के उद्देश्य से लगाई जाती हैं लाभ का वह भाग जो व्यवसाय से निकाला नही गया हैं,

पूॅजी:- सम्पत्तियां – दायित्व.

Drawing (आहरण) क्या है:

व्यवसाय के स्वामी द्धारा व्यवसाय के निजी उपयोग के लिये जो माल या रोकड़ निकाल लिये जाते हैं, उसे आहरण या निजी व्यय कहते है। आहरण से पॅूजी की मात्रा कम हो जाती हैं।

Transaction (सौदा या लेन) क्या है:-

दो पक्षो के मध्य होने वाले मुद्रा, माल या सेवा के पारस्परिक विनिमय ;म्गबींदहमद्ध को सौंदे लेन – देन कहते हैं। माल का क्रय – विक्रय, भुगतान का का लेना – देना आदि आर्थिक क्रियाएॅ व्यावसायिक सोैेदे या लेन – देन कहते हैं।

Types of Transaction   

1. Cash Transaction (नगद लेन-देन)
2. Credit Transaction (उधार या साख लेन-देन)
3. Bill Transaction (बिल लेन-देन)

Goods (माल) क्या है:

माल उस वस्तु को कहते हैं, जिसका क्रय – विक्रय या व्यापार किया जाता है। माल के अंतर्गत वस्तुओं के निर्माण हेतू प्राप्त कच्ची सामग्री, अर्द्धनिर्मित सामग्री या तैयार वस्तुएं हो सकती हैं.

Purchase (क्रय) क्या है:-

जब व्यापारी द्धारा विक्रय हेतू माल की खरीदी की जाती है, उसे क्रय कहा जाता है।। यह खरीदी कच्ची सामग्री या तैयार माल के रूप् में हो सकती हैं। सम्पत्तियों का क्रय, क्रय में शामिल नहीं हैं, क्योंकि ये पुनः विक्रय के लिये नही होती हैं।

Purchase Return (क्रय वापसी) क्या है:-

क्रय किये गये माल में से किसी कारणवश जो माल वापस कर दिया जाता हैं, उसे क्रय वापसी अथवा बाह्य वापसी (Return Outward) कहते है।

Sales (विक्रय) क्या है-

लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से जब क्रय किया हुआ माल बेजा जाता हैं उसे विक्रय कहते हैं। नगद माल बेचने को नगद विक्रय (Cash Sales) तथा उधार माल बेचने को उधार विक्रय (Credit Sales) कहते हैं।

Sales Return (विक्रय वापसी) क्या है-

विक्रय किये गये माल में से किसी कारणवश ग्राहक द्धारा वापस कर दिया जाता हैं, उसे विक्रय वापसी अथवा आन्तरिक वापसी कहते है। टेैली में Sales Return होने पर उसे जर्नल वाउचर या डेबिट नोट में एंट्री किया जाता है।

Stock (स्टाॅक या स्कंध) क्या है-

एक निश्चित समयावधि के उपरान्त जो माल बिकने से रह जाता हैं, उसे स्टाॅक कहते है किसी व्यापारिक वर्ष के अंतिम दिन जो बिना बिका माल रह जाता है उसे अंतिम स्टाॅक (Closing Stock) कहते है। नवीन व्यापारिक वर्ष के प्रारंभ में यही स्टाॅक, प्रारंभिक स्टाॅक (Opening Stock) कहलाता है।

Assets (सम्पत्तियां) क्या है:– 

व्यवसाय की ऐसी सभी स्थायी उवं अस्थायी वस्तुएं जो व्यवसाय को चलाने के लिये आवश्यक होती हैं तथा का जिन पर व्यवसायी स्वामीत्व होता हैं, सम्पत्तियां कहलाली हैं। जैसे – यंत्र, भूमि वभन तथा व्यवसाय की निजी उपयोग मे होने वाले सभी यंत्र, फर्नीचर, प्रिंटर, कप्म्यूटर इत्यादि। 

Types of Assets    

1. Fixed Assets स्थायी सम्पत्ति () –

यंत्र, भूमि वभन तथा व्यवसाय की निजी उपयोग मे होने वाले सभी यंत्र, फर्नीचर, प्रिंटर, कप्म्यूटर इत्यादि

2. Current Assets चल सम्पत्ति () –

नगद रोकड. बैंक नगद इत्यादि  

Liabilities (दायित्व या देयताए) क्या है:

व्यवसाय के देयधन को दायित्व कहते हैं व्यवसाय में कुछ आवश्यक राशियाॅ ऐसी होती हैं, जिनको चुकाने का दायित्व व्यवसाय पर होता है जैसे – पूॅजी, देयविपत्र, लेनदार, बैंक अधिविकर्ष आदि।

Revenue (राजस्व) क्या है:-

राजस्व से आशय ऐसी राशि से है जो माल अथवा सेवाओं के विक्रय से नियमित रूप से प्राप्त होती है। व्यवसाय के दिन – प्रतिदिन के क्रिया-कलापों से प्राप्त होने वाली राशियाॅ जैसे – किराया, व्याज, कमीशन, बट्टा, लाभांश आदि भी राजस्व कहलाते है।

Expenses (व्यय) क्या है:- 

व्यवसाय में माल, वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन या प्राप्ति करने के लिये जो लागत आती है। व्यय कहते हैं। माल तथा सेवाओं की प्राप्ति के लिये भुगतान व्यय के अंतर्गत आते हैं। मजदूरी, भाड़ा, रेल गाड़ी तथा माल के वितरण एवं विक्रय पर भुगतान गया वेतन, किराया, विज्ञापन, व्यय, बीमा आदि भी में व्यय में शामिल हैं।संक्ष्पित में राजस्व में वृद्धि करने की लागत को व्यय कहते हैं।

Types of Expenses

1. Direct Expenses 

माल तथा सेवाओं की प्राप्ति के लिये भुगतान – मजदूरी, भाड़ा, रेल गाड़ी तथा माल के वितरण एवं विक्रय पर भुगतान

2. Indirect Expenses 

राजस्व में वृद्धि, वेतन, किराया, विज्ञापन, व्यय, बीमा आदि Expenditure (खर्च):- खर्च वह राशि होती है जो व्ययसाय की लाभ-अर्जन क्षमता की वृद्धि हेतू भुगतान की जाती है। व्यवसाय में सम्पत्तियों के अधिग्रहण या प्राप्ति हेतू जो भुगतान किया जाता है वह खर्च कहलाता हैं।

Gain  (लाभ) क्या है:-

यह एक प्रकार की मौद्रिक प्राप्ति है, जो व्यवसाय के फलस्वरूप् प्राप्त होती है जैसे यदि 1,00,000 रूपये मूल्य की माल को 1,50,000 रूपये में बेचा जाएगा तो 50,000 रूपये की प्राप्ति लाभ कहलेगा।Basic Accounting Terms

Cost (लागत) क्या है:-

व्यवसाय एवं उसके कार्यो में प्रयोग होने वाले कच्चे माल, सेवा व ऋण, उत्पादन या उसे उपयोगी बनाने हेतू किये जाने वाले समस्त प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्ययों के योग को ही वस्तु की लागत कहते है। वस्तु के अंतर्गत कच्चा माल या सम्पत्तिया शामिल रहती है।

Discount (कटौती, बट्टा या छूट) क्या है:- 

व्यापारी द्धारा अपने ग्राहकों को दी जाने वाली रियायत को कटोैती, छूट या बट्टा कहते है। इसे उपहार भी कहा जाता है। बट्टा दो प्रकार के होते हैं –

1. व्यापारिक बट्टा (Trade Distcount) क्या है:-

विक्रेता अपने ग्राहकों को माल खरीदते समय उसके अंकित मूल्य अर्थात् सूची मूल्य में जो रियायत (छूट देता है) करता है, उसे व्यापारिक बट्टा कहते है यह माल की बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से दिया जाता हैं। इसका लेखा पुस्तको में नही किया जाता है

2. नगद बट्टा (Cash Discount) क्या है:-

निश्चित अथवा निर्धारित अवधि में नगद राशि या चैक द्धारा मूल्य का भुगतान करने पर जो छूट दी जाती है, उसे नगद बट्टा कहते है इसका लेखा पुस्तको में किया जाता है

Debitor (देनदार या ऋणी) क्या है:-

जो व्यक्ति, फर्म या संस्था से माल अथवा सेवाएं उधार लेते है, उसे व्यापार का ऋणी या देनदार कहते है। देनदारो को ‘विविध देनदार’ या Sundry Debtor कहते है।

Creditor (लेनदार या ऋण दाता) क्या है:-

जिस व्यक्ति, फर्म या संस्था से माल अथवा सेवाएं उधार ली जाती है उसे त्रणदाता या लेनदार कहते है माल उधार खरीदने पर ही लेदनदारों का उदय होता है लेनदारो को ‘विविध लेनदार’ (Sundry Creditors) कहते है। जैसे – लखन ष्याम से 2 प्रिंटर 20000 रूपये मे खरीदा ।

Receivable (प्राप्य) क्या है:-

व्यवसाय से सम्बधित ऐसी राषि जिसको प्राप्त किया जाना है उसे प्राप्य कहते है। व्यापार में माल की उधार बिक्री होने पर क्रेता को देनदार कहा जाता है, जिनसे राषि प्राप्त की जाना होती हैं .

देयतायें (Payable) क्या है:

व्यवसाय में कुछ ऐसी राषियां होती है जिन्हेेंेेें भविश्य में व्यापारी को चुकाना होता है उन्हे देयताएं (Payable) कहते है। जिनसे व्यापार द्धारा उधार माल क्रय किया जाता है वे व्यापार के लेनदार (Creditors) कहते है।

Entry (प्रविश्टि) क्या है:-

लेन देन को हिसाब की पुस्तको में लिखना प्रविश्टि कहते है

कुल बिक्री (Turn Over) क्या है :-

एक निश्चित में होने वाले नगद तथा उधार विक्रय का योग कुल विक्रय या Turn Over कहते है। विक्रय नगद + विक्रय उधार = Turn Over.  

Insolvent / दिवालिया क्या है:-

जो व्यक्ति अपना ऋण चुकाने मे असमर्थ हो जाता है उसे दिवालिया कहते है। ऐसे व्यक्ति का दायित्व उसकी सम्पत्ति के मूल्य से अधिक होता है। ऐसी स्थिति में वह अपना ऋण पूरी मात्रा में नही चुका सकता है। आंशिक रूप में ऋण चुकता करने के लिये उसे न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है। न्यायालय उसे दिवालिया घोषित कर आंशिक रूप् से ऋण चुकाने की अनुमति दे देता है जिससे वह अपने ऋण से मुक्त हो जात है.

Bad Debts / ऋण क्या है:-

ऋणी की असमर्थता अथवा दिवालिया हो जाने के कारण जो रकम वसूल नहीं हो पाती, लेनदार के लिये डूबत-ऋण या अ्रप्राप्य ऋण कहलाती है। 

नामे और जमा (Debit and Credit) क्या है:-

प्रत्येक खाते के दो पक्ष होते है। बायें पक्ष को नामे क्मइपज या विकलन तथा दाहिने पक्ष को जमा ब्तमकपज या समाकलन कहते है। किसी खाते केे बाएं पक्ष में लेखा करना नामे लेखा कहलाता है है जिसे परम्परागत रूप से संक्षेप में Dr. लिखते है इस प्रकार खाते के दाहिने पक्ष में लेखा करना जमा लेखा कहलाता है जिसे परम्परागत रूप से Cr. लिखते है। यह उल्लेखनीय है कि भारतीय बहीखाता प्रणाली में नामे पक्ष दाहिनी ओर तथा जमा बायीं ओर हेाता है ।

Commission / कमीशन या वर्तन क्या है:-

व्यापारिक कार्याे में सहयोग करने अथवा प्रतिनिधित्व करने के प्रतिफल में प्रतिनिधि या अभिकर्ता को जो पारिश्रमिक दिया जाता है उसे कमशीन कहते है .

फर्म (Firm) क्या है :-

सामान्य अर्थ में फर्म से आशय उस संस्था से है जो कि साझेदारी स्थापित कर व्यापारिक या व्यावसायिक कार्य करती है, किंतु व्यापक अर्थ में प्रत्येक व्यापारिक इकाई को फर्म के नाम से संबोधित किया जा कसता है ।

Account / Leger / खाता  क्या है :- 

लेजर या खाता एक तालिका है जिसमे सोैदा उनके स्वभाव के अनुसार वर्गीकृत करके एक र्शीषक के अंतर्गत एक स्थान पर क्रम से लिखा जाता है, सरल शब्दो में किसी व्यक्ति, सम्पत्ति तथा आय-व्यय आदि से संबधित लेखो को छांटकर जो सूची बनाई जाती है उसे Account / Leger / खाता कहते है।

Account शब्द का अंग्रेजी में संक्षिप्त रूप में A/c होता है। लेखो में प्रायः इस संक्षिप्त रूप का ही प्रयोग होता है और प्रत्येक खाता दो पक्षों में विभाजित रहता है। बाये पक्ष को नामे Debit और दाहिने पक्ष को Credit कहते है




Types of Accounts
(अकाउंट्स के प्रकार )

1) Personal Accounts (व्यक्तिगत खाते ) क्या है / किसे कहते है :-

सभी व्यक्तिसोसायटीट्रस्टबैंक और कंपनियों के खाते पर्सनल अकाउन् कहलाते हैं।

उदाहरण :– Trupti A/c, Krishna Sales A/c, Anil Traders A/c, State bank of India A/c

 2) Real Accounts(वस्तुगत खाते ) क्या है / किसे कहते है :-

Real Account में सभी Assets और Goods अकाउन् शामिल है।

उदाहरण :– Cash A/c, Furniture A/c, Building A/c

 3) Nominal Accounts(नाममात्र के खाते ) क्या है / किसे कहते है :-

बिजनेस से संबंधित सभी आय और खर्च नॉमिनल अकाउन् के अंतर्गत आते है।

उदाहरण : – Salary A/c, Rent A/c, Commission A/c, Advertisement A/c, Light Bill A/c

 

यह भी पढ़े  :-

Tally Groups & Ledgers - देखें 

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